
बुधवार को जैसे ही संसद के दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — की कार्यवाही शुरू हुई, हंगामे की घंटी बज गई।
कुछ ही मिनटों में शोर-शराबे के चलते पहले कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक, फिर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
वजह? बिहार में चल रहा ‘Special Intensive Revision’ (SIR)।
SIR यानी वोट लिस्ट की छंटनी या कुछ और?
बिहार में चल रहा SIR अभियान यानी मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण, विपक्षी दलों को नागवार गुज़रा।
INDIA गठबंधन ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया “मतदान से विपक्षी वोटरों की बेदखली” का षड्यंत्र है।
राजद सांसद मनोज झा बोले:
“जब किसी पार्टी के इशारे पर बेदखली की परियोजना चलती है, तो इतिहास सज़ा देता है।”
कांग्रेस का आरोप: “वोटबंदी” नई शैली में?
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने संसद परिसर में कहा,
“ये तो वोटबंदी है! जब वोटरों को हटाया जा रहा है, तो लोकतंत्र की नींव डगमगाएगी।”
गठबंधन नेताओं ने संसद भवन परिसर में हाथ में प्लेकार्ड लेकर प्रदर्शन भी किया।
सरकार का जवाब: “चर्चा करो, पर सदन चलने दो!”
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा,
“सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन सदन को चलने भी तो दीजिए। बिहार SIR पर अफवाह फैलाई जा रही है।”
चुनाव आयोग की टाइमिंग पर सवाल
2025 के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव संभावित हैं। ऐसे में इस वक्त SIR प्रक्रिया को लेकर संदेह की नजर से देखा जा रहा है।
विपक्ष का कहना है कि इस वक़्त वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ का मतलब राजनीतिक मकसद हो सकता है।
“बिहार में SIR, दिल्ली में FIR टाइप बहस!”
जैसे-जैसे बिहार चुनाव नज़दीक आएंगे, संसद में वोटर लिस्ट का मुद्दा बार-बार गरमाएगा। अब देखना यह है कि विपक्ष के सवालों का जवाब आयोग देगा या अगली कार्यवाही फिर से “2 बजे तक स्थगित” हो जाएगी!
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